आतिशबाजी के चक्कर में कहीं गंवा न दें आंखें
प्रयागराज। (20 अक्टूबर) दीपों का पर्व दीपावली है। इस त्योहार पर लोग जमकर पटाखे भी जलाने की तैयारी में हैं। यदि आप भी बड़े और तेज आवाज वाले पटाखे जलाने की तैयारी में हैं तो सावधान रहें। थोड़ी सी ही लापरवाही से कहीं खुद इन तेज आवाज वाले पटाखों की चपेट मे न आ जाएं।
मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल (काल्विन) के सीनियर ऑप्टोमेट्रिस्ट डॉ. एसएम अब्बास कहते हैं कि प्रति वर्ष दीपावली के बाद तमाम ऐसे लोग अस्पताल पहुंचते हैं जिनकी आंखों में परेशानी होती है। जो तेज आवाज वाले पटाखे होते हैं उसमें कई तरह के ज्वलनशील पदार्थ व नुकीले कण भरे होते हैं और उसके जलने पर वह सीधे बाहर निकलते हैं। यदि इसमें लापरवाही हुई तो वह सीधे आंखों में पहुंच जाते हैं।
डॉ. अब्बास बताते हैं कि आंख बहुत ही नाजुक हिस्सा है, यह थोड़े से ही कण जाने से प्रभावित हो जाते हैं। इसलिए पटाखे जलाते समय चेहरे को और आखों को विशेष रूप से बचाकर रखें। प्रायः जो पटाखे जलाने के बाद नहीं बजते उसके पास बिल्कुल ना जाए कई बार झुक के देखते समय या छूते ही उसमें विस्फोट हो जाता है वो स्थिति बहुत ख़तरनाक हो जाती है। आतशबाज़ी जलाते समय बच्चों पर कड़ी नज़र रखें और उचित दूरी से जलाने का प्रबंध करें , जलाते समय अपने चेहरे को दूर रखें! दीपावली की खुशियों पर किसी तरह का ग्रहण ना लगे इसके लिए पूरी सावधानी से त्योहार मनाएं! अगर आंखों में पटाखे का बारूद या अन्य ज्वलनशील पदार्थ पड़ जाए तो तुरन्त निकटतम की डॉक्टर को दिखा लें सभी सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी में डॉक्टर उपलब्ध रहते है आंखों को रगड़ें या मलें नहीं केवल प्लेन एंटीबायोटिक आई ड्रॉप ( सिप्रोफ्लाक्सासिन / मोक्सीफ्लॉक्सीन/ गेटीफ्लोक्सासीन ) या लूब्रिकेंट आई ड्रॉप डाल सकते हैं
डॉक्टर एस एम अब्बास
वरिष्ठ ऑप्टोमेट्रिस्ट
मोती लाल नेहरू मंडलीय अस्पताल