चंदला विधायक दिलीप अहिरवार को बदनाम करने की साजिश बेनकाब, अफवाहों ने मंत्री की साख पर लगाया दाग
मंत्री के काफिले की टक्कर से वृद्ध की मौत की खबर को बताया झूठा
लवकुशनगर (छतरपुर)। बीते दिन सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि मध्य प्रदेश सरकार के वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री और चंदला क्षेत्र के विधायक दिलीप अहिरवार के काफिले में शामिल एक वाहन से ई-रिक्शा की टक्कर हो गई जिससे एक वृद्ध व्यक्ति की मौत हो गई। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर कई भ्रामक सूचनाएँ फैल गईं, जिनमें मंत्री को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की गई। लेकिन पुलिस जांच और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान से यह साफ हो गया कि यह खबर झूठ और अफवाह पर आधारित थी, और मंत्री को बदनाम करने की सुनियोजित कोशिश की गई थी।
दरअसल हुआ यह था कि बीते दिन छतरपुर जिले के लवकुशनगर थाना क्षेत्र में राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार के काफिले में शामिल एक वाहन से बसंतपुर तिराहे के पास एक ई-रिक्शा को जोरदार टक्कर मार देने की खबर आई थी। इसमें कहा गया कि हादसे में 70 वर्षीय बुजुर्ग साहब सिंह बुरी तरह घायल हो गए जबकि छह अन्य लोग घायल हुए। जानकारी के मुताबिक, बुदौरा गांव निवासी साहब सिंह दिवाली की खरीदारी कर लवकुशनगर से लौट रहे थे। ई-रिक्शा में कुल सात सवारियां थीं। जैसे ही वाहन गौरीहार मार्ग के पास पहुंचा, मंत्री के काफिले में शामिल एक गाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी।
दिलीप अहिरवार ने दिखाई मानवता
मामले में हुआ ये कि संयोगवश दुर्घटना उसी मार्ग पर हुई, और मंत्री ने मानवता के नाते तुरंत रुककर घायल वृद्ध को अस्पताल पहुँचाने में मदद की। उन्होंने मौके पर मौजूद कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि व्यक्ति को तुरंत इलाज मिले और हर संभव सहायता दी जाए। लेकिन, इसके कुछ घंटे बाद ही सोशल मीडिया पर “मंत्री के काफिले की टक्कर से मौत” जैसी भ्रामक पोस्टें फैलने लगीं। कुछ राजनीतिक दलों और तथाकथित एक्टिविस्टों ने बिना पुष्टि किए इसे मुद्दा बनाकर मंत्री पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। देखते ही देखते फेसबुक, व्हाट्सएप आदि पर यह खबर वायरल हो गई।
इस संबंध में लवकुशनगर एसडीओपी नवीन दुबे ने मीडिया को बताया कि पुलिस जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि वृद्ध व्यक्ति की टक्कर किसी अज्ञात वाहन से हुई थी। एसडीओपी ने कहा कि यह पूरी तरह से अफवाह थी, जिसकी पुष्टि किसी भी सबूत या गवाह से नहीं होती।
मंत्री दिलीप अहिरवार ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर गहरी नाराजगी जाहिर की और कहा कि “मुझे बदनाम करने के लिए लगातार ऐसी भ्रामक खबरें सोशल मीडिया पर डाली जा रही हैं। सच्चाई यह है कि मैंने स्वयं घायल को अस्पताल पहुँचाने का कार्य किया था, लेकिन विपक्षी तत्वों ने इसे मेरे खिलाफ इस्तेमाल कर लिया।
मामले को दिया जा रहा राजनीतिक रंग
यह पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया ने किसी घटना का रूपांतर कर राजनीतिक रंग दे दिया हो। बीते कुछ महीनों में कई जनप्रतिनिधियों के खिलाफ इसी तरह की अपुष्ट खबरें वायरल होती रही हैं, जिनका मकसद केवल भ्रम और नफरत फैलाना रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में सोशल मीडिया पर सक्रिय फर्जी अकाउंट्स और आईटी सेल जैसी इकाइयाँ अफवाह फैलाने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं।
इस पूरे प्रकरण में यह बात स्पष्ट होती है कि राजनीतिक विरोध के नाम पर व्यक्तिगत चरित्र हनन अब आम बात बनती जा रही है। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों की आलोचना जरूरी है, लेकिन उसका आधार तथ्य होना चाहिए, अफवाह नहीं।
मंत्री दिलीप अहिरवार के समर्थकों का कहना है कि वह हमेशा जनता से जुड़े रहते हैं और सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं। ऐसी झूठी खबरें उनके जनसेवा भाव को कमजोर नहीं कर सकतीं। घटना के बाद पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक की तलाश शुरू कर दी है, ताकि वास्तविक दोषी को सजा मिल सके।
पुलिस जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि वृद्ध व्यक्ति की टक्कर किसी अज्ञात वाहन से हुई थी। मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने भी बताया कि मंत्री के काफिले या किसी ई-रिक्शा से दुर्घटना का कोई संबंध नहीं है। वाहन की पहचान कर कार्रवाई की जा रही हैं।